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मध्यप्रदेश : बाघ विहीन पन्ना टाइगर रिजर्व अब है 55 बाघों का घर ,कई देश अब पन्ना मॉडल का अध्यन कर अपने देशों में बाघ पुनर्स्थापना का कर रहे हैं प्रयास..

भोपाल / पन्ना : मध्यप्रदेश में पन्ना-हीरा के लिये विख्यात पन्ना जिले ने बाघ पुन: स्थापना के सफल 10 वर्ष पूरे कर बाघ संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाई है। पिछले कुछ वर्षों में बाघविहीन हो चुका पन्ना टाइगर रिजर्व आज छोटे-बड़े मिलाकर कुल 55 बाघों का घर है। बाघ की अकेले रहने की प्रवृत्ति के कारण अब यह क्षेत्र भी बाघों के लिये छोटा पड़ने लगा है। कई देश अब पन्ना मॉडल का अध्ययन कर अपने देश में बाघ पुन: स्थापना का प्रयास कर रहे हैं।


पन्ना के जंगलों में बाघ हुआ करते थे। इस वजह से वर्ष 1994 में टाइगर रिजर्व का दर्जा भी मिला था। फिर एक समय ऐसा भी आया, जब वर्ष 2009 में इस टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं बचा। वन्य-प्राणी विशेषज्ञ और पन्ना के नागरिक यह स्थिति देख आश्चर्य चकित रह गए। मार्च-2009 में बाँधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व से 2 बाघिन को पन्ना लाया गया। इन्हें टी-1 और टी-2 नाम दिया गया। इसके बाद 6 दिसम्बर को पेंच टाइगर रिजर्व से बाघ लाया गया, जिसका नामकरण टी-3 किया गया। इस बाघ का पन्ना टाइगर रिजर्व में मन नहीं लगा और वह वापस दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा। हर वक्त सतर्क पार्क प्रबंधन ने 19 दिन तक बड़ी कठिनाई और मशक्कत से इसका लगातार पीछा किया और 25 दिसम्बर को इसे बेहोश कर पुन: पार्क में ले आये।


टाइगर रिजर्व में वापस बाघ को लाने के लिये लगातार रोज मंथन और अनुसंधान होते रहे। इसके लिये वन विभाग ने लॉस्ट वाइल्डरनेस फाउण्डेशन से सम्पर्क किया। फाउण्डेशन ने सबसे पहले हताश और निराश हो चुके पार्क प्रबंधन को प्रोत्साहित किया। उन्हें प्रशिक्षण के साथ आगे आने वाली कठिन और लम्बी कार्य यात्रा के लिये तैयार किया।


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