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आज देवउठनी एकादशी के दिन जाग गए हैं भगवान विष्णु, अब शुरू होंगे मंगल कार्य

मनीष गौतम रीवा 
आज देवउठनी एकादशी के दिन जाग गए हैं भगवान विष्णु, अब शुरू होंगे मंगल कार्य


देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद जागते हैं



देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद जागते हैं। कहते है कि इस दिन भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक राक्षस का वध किया था उसके बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु ने क्षीर सागर में शेषनाग की शय्या पर शयन किया था और चार महीने की योग निद्रा त्यागने के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन जागते है। भगवान विष्णु के जागने के बाद उनके भक्त उनकी प्रिय तुलसी उनको अर्पित करते हैं और इसी दिन भगवान विष्णु शालिग्राम के रुप में तुलसी के साथ विवाह भी करते है। आइए जानते है कि देवउठनी एकादशी के दिन 4 माह बाद उठकर भगवान विष्णु संसार की नैया को कैसे पार लगाते है।



भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी से खुद को लोक कल्याण संबंधी कार्यों के लिए समर्पित कर देते हैं


देवउठनी एकादशी के दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं और खुद को लोक के कल्याण संबंधी कार्यों के लिए समर्पित कर देते हैं। भगवान विष्णु के जागने के बाद से ही संसार में विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की तरह अन्य सभी देवतागण भी योग निद्रा से जागते हैं और भगवान विष्णु समेत अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है। भगवान विष्णु इस दिन भक्तों के द्वारा किए गए दान, पुण्य आदि का भी विशेष फल देते हैं। 


देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु माता तुलसी से विवाह करते हैं


देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु माता तुलसी को दिए गए वचानुसार उनसे विवाह भी करते हैं। शास्त्रों के अनुसार जो लोग तुलसी-शालिग्राम विवाह कराते हैं उनके दांपत्य जीवन में हमेशा भगवान विष्णु के आशीर्वाद से प्रेम बना रहता है। जो कोई भी व्यक्ति लोभ से वशीभूत हो या मोह अधिक रखता हो यदि देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु का अभिनंदन करता है और व्रत रखता है है भगवान उसको समस्त दुखों से छुटकारा दिलाकर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देते हैं। 


पंडितों की भी पहले से ही हो रही बुकिग :


शहर में करीब 500 पंडित शादियां कराते हैं लेकिन इस बार शादी के मुहूर्त कम होने के चलते एक मुहूर्त पर एक हजार से अधिक शादियां होने की संभावना है, जिसके चलते एक पंडित को एक दिन में दो से तीन शादियां करानी पड़ सकती हैं। पंडित अमित शौनक ने बताया कि शहर में शादी कराने वाले पंडितों की कमी होने के चलते अभी से ही सगाई और शादी कराने के लिए पंडितों की बुकिंग शुरू होने लगी है।


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